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D.S ch-10 Class 8

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पाठ – 10 ( योग की पहली सीडी –यम )
प्रश्न-1 योग के आठों अंगों के नाम लिखो |
उत्तर-1  योग के आठ अंग इस प्रकार हैं –
यम   नियम   आसन    प्राणायाम    प्रत्याहार     धारणा     ध्यान और  समाधि |
प्रश्न-2 यम कितने है ? प्रत्येक का नाम लिखकर अर्थ बताएं |
उत्तर-2 यम पांच है –“अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह यमा:”|
अहिंसा=   किसी प्राणी को मन वचन एवं कर्म से दु:ख न देना अहिंसा है |
सत्य=     सच्चाई का साथ देना,  प्रिय एवं  हितकारी बोलना सत्य कहाता है |
               “सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् मा ब्रुयात्सत्यमप्रियं “
अस्तेय= चोरी आदि न करना, जो परिश्रम से नहीं कमाया, जो अपना धन नहीं है उसे प्राप्त करने का प्रयास न करना आदि अस्तेयकहलाता है |
ब्रह्मचर्य= परमात्मा में ध्यान लगाना , अपनी इन्द्रियों को वश में रखना , शारीरिक मानसिक शक्तियों का बढ़ाना अथवा संचय करना ब्रह्मचर्य कहलाता है |हमें ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए |
अपरिग्रह= आवश्यकता से अधिक धन को जमा न करना आदि अपरिग्रह कहलाता है |यह दु:खदायी होता है अत: इससे हमें बचना चाहिए | इस प्रकार ये पांच यम हैं इनका पालन करना सीखना चाहिए |
प्रश्न-3  अहिंसा का सम्बन्ध मनोवृत्ति से है , क्रिया से नहीं | उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें |
 उत्तर-3  अहिंसा का सम्बन्ध मनोवृत्ति से है , क्रिया से नहीं है |वास्तव में हिंसा का अर्थ केवल किसी को “मारना” भर नहीं है अपितु हिंसा मन में आये विचारों से भी हो सकती है |इसे एक उदाहरण द्वारा भी समझा जा  सकता है –एक कुशल डाक्टर अपने रोगी बचाने के लिए आपरेशन करता है इस दौरान रोगी को भयंकर पीड़ा होती है तो क्या यह हिंसा है ? नहीं | क्योंकि  –यह सारा काम मन, वचन ,कर्म, एवं सात्विक वृत्ति से हो रहा होता है अतः यह हिंसा नहीं  कही जा सकती | इसी प्रकार एक सैनिक युद्ध के मैदान में देश की रक्षा के किये दुश्मन को मारता है तो क्या यह हिंसा है  ? नहीं |  क्योंकि यह अपने  कर्तव्य का पालन कर रहा होता है |
प्रश्न-4 अस्तेय तथा अपरिग्रह का क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर- स्तेय  चोरी को कहते है और अस्तेय चोरी न करने को कहते हैं | संसार में बहुत प्रकार  की चोरियां होती हैं | दुसरे की वस्तु को बिना मूल्य दिए लेना  ही चोरी नहीं अपितु घटिया माल को बढ़िया बताकर बेचना और कम तोलना भी चोरी है |अपने काम को लगन से  न  करना  भी चोरी  है |
अन्याय से किसी की संपत्ति ,राज्य,धन या अधिकार को छीन लेना भी चोरी है | मजदूरों को कम मजदूरी देना , अनाज जमा करके मंहगा बेचना ,गरीबों का रक्त चूसना आदि भी चोरी के ही रूप हैं | ये व्यक्तिगत एवं सामाजिक दोनों ही तरह से हानिकारक है |और
अपरिग्रह= का अर्थ है गलत संग्रह न करना | वास्तव में यदि हम सब सु:ख और  शान्ति चाहते हैं तो हमें आवश्यकताओं से अधिक वस्तुओं का  संग्रह नहीं करना चाहिए | हमारी आवश्यकताएं जितनी बढेंगी उतनी ही समाज में अशांति फैलेगी | क्योंकि अनावश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उल्टा-सीधा कमाना पड़ेगा जो कि-पाप का कारण भी हो सकता है, दूसरों के साथ कई  बार दुर्व्यवहार भी करना पड़ सकता है | अत: हमें अस्तेय और अपरिग्रह का जीवन में ध्यान रखना  चाहिए | इससे जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान हो पायेगा और व्यक्तिगत एवं सामाजिक उन्नति भी हो पायेगी |
प्रश्न-5 ब्रहमचर्य का क्या महत्व है ?
उत्तर-5 आँख ,कान,नाक,जिह्वा ,त्वचा,मन बुद्धि आदि इन्द्रियों पर नियंत्रण करना ब्रह्मचर्य कहलाता है | वास्तव में ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला व्यक्ति अपनी शारीरिक आत्मिक मानसिक उन्नति को प्राप्त करनें में समर्थ होता है | ऐसा व्यक्ति समाज को अपनी सोच और व्यवहार के अनुकूल बना लेता है | समाज में संयम बना रहता है | विद्यार्थी जीवन में ब्रह्मचर्य का बहुत महत्त्व है क्योंकि ब्रह्मचर्य का पालन करने से  शरीर सुन्दर और स्वस्थ बनता है | बुद्धि तीव्र एवं प्रखर बनती है | आत्मा बलवान होती है | अत: ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए |

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