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पाठ संख्या -7 ( राष्ट्र भाषा हिन्दी )
प्रश्न संख्या -1 राजर्षि टन्डन अंग्रेजी को 15 वर्ष की छूट दिये जाने के पक्ष में नहीं थे |
उत्तर-1 उन दिनों कांग्रेस पर हिन्दी के विद्वान् श्री राजर्षि पुरषोत्तम दास टंडन जी की पकड़ पंडित जवाहरलाल नेहरूजी से अधिक थी | नेहरू जी 10 वर्ष तक अंग्रेजी बनी रहने का हठ करने लगे किन्तु टन्डन जी ऐसा करने को बिलकुल राजी नहीं थे | ऐसे में सेठ गोबिन्द दास एवं पंडित बाल कृष्ण शर्मा नवीन ने अनुनय –विनय करके , नेहरूजी के पक्ष में टन्डन जी को राजी कर लिया और नेहरूजी द्वारा हिंदी को 15 वर्ष की छूट दे दी गई किन्तु हुआ वही जिसकी राजर्षि टंडन जी को आशंका थी | ये 15 वर्ष पूरे होते उससे पहले ही टन्डन जी स्वर्ग वासी हो गए और फिर से हिंदी की अवहेलना करके अंग्रेजी को प्रचारित प्रसारित किया गया जो की हिन्दी के लिए पूर्णतया दुर्भाग्य था | यही कारण है कि- जो स्थान आज हिन्दी को प्राप्त है वह बहुत चिन्ता जनक है |
प्रश्न संख्या -2 आज देश में हिन्दी को जो स्थान प्राप्त है ? समीक्षा कीजिए
उत्तर-2 किसी राष्ट्र के समस्त देशवासियों में सच्चा प्रेम ,संगठन और एकता की भावना भरने के लिए एक राष्ट्र भाषा का होना आवश्यक है ,इस बात से कोई बुद्धिमान व्यक्ति इनकार नही कर सकता | हांलाकि आज कहने को तो हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है किन्तु उसे वह अधिकार नहीं मिल पा रहा है जिसकी आधिकारिणी है | वास्तव में हिन्दी भारतीयों की भावात्मक अभिव्यक्ति का एकमात्र साधन है | इसके अभाव में भारतीयता की अभिव्यक्ति हो ही नही सकती | यह भारत की आत्मा है |
प्रश्न संख्या -3 गुरु गोबिन्द सिंह जी ने हिन्दी के लिए क्या किया ?
उत्तर-3 संत सिपाही दशमेश गुरू गोबिंद सिंह जी सारे देश की स्वतन्त्रता एवं अखंडता का स्वप्न संजोये हुए थे | वे इसी निमित्त शिवाजी के पुत्र शम्भा से मिलने दक्षिण भारत गए थे | गुरू जी ने खालसा पंथ में दीक्षित होने वाले अनुयायियों को जो जयघोष प्रदान किया वह भी सारे देश के विचार से हिन्दी में ही था और आज भी हिन्दी में ही बोला जाता है – “ वाहे गुरू जी का खालसा वाहे गुरू जी की फतेह “ | गुरू जी का दशम ग्रन्थ (जफरनामा ) छोड़कर हिंदी में ही है |
प्रश्न संख्या -4 स्वामी दयानन्द जी से हिन्दी अपनाने का आग्रह किसने किया ?
उत्तर-4 महर्षि स्वामी दयानन्द जी से हिंदी में बोलने का अनुरोध बंगाल की राजधानी कलकत्ता में ब्रह्म समाज के नेता केशब चन्द्र सेन ने किया था | स्वामीजी गुजराती होते हुए भी उस समय तक संस्कृत में ही बोला करते थे | बाद में आग्रह को स्वीकार करते हुए स्वामी जी ने राष्ट्रभाषा हिन्दी में बोलना शुरू कर दिया था |
प्रश्न संख्या -5 महात्मा गांधी ने बी.बी.सी.के अधिकारीयों को भारत के आजाद होने पर सन्देश देने से मना क्यों कर दिया ?
उत्तर-5 देश के आज़ाद होने पर बी.बी.सी.लन्दन के अधिकारी महात्मा गांधी जी से ऐसा सन्देश लेने के लिए पहुंचे जिसे वे रेडियो पर सुना सकें | उन दिनों बी.बी.सी. से हिन्दी में प्रसारण नहीं होते थे | परिणाम यह हुआ कि- महात्मा गांधी जी नें कोई सन्देश नहीं दिया | और आधिकारियों को यह कहकर वापस लौटा दिया कि- “ दुनिया को भूल जाना चाहिये कि- गान्धी भी अंग्रेजी जानता है “ | गांधीजी कहा करते थे यदि मेरे हाथ में देश की बागडोर होती तो आज ही विदेशी भाषा का दिया जाना बन्द करवा देता और सारे अध्यापकों को स्वदेशी भाषाओं को अपनाने के लिए मजबूर कर देता |
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