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पाठ संख्या -5 ( गायत्री जप का प्रभाव )
प्रश्न-1 गायत्री मन्त्र लिखें ?
उत्तर-1 ओ३म् - भूर्भुवः स्वः | तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |
धियो यो न: प्रचोदयात् || वेद भगवान् ||
प्रश्न-2 गायत्री मन्त्र का अर्थ लिखें ?
उत्तर-2 ओ३म् -यह परमेश्वर का उसका अपना मुख्य निज नाम है |
भू: = प्राणों का भी प्राण |
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धीमहि=धारण करें
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भुवः= दु:खों से छुड़ाने हारा
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धियो=बुद्धियों को
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स्व:= स्वयं सु:ख स्वरुप और अपने उपासकों को भी सु:ख की प्राप्ति करने हारा
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यो=जो
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तत् =उस ( ईश्वर को )
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न := हमारी ओर
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सवितुर = सकल जगत के उत्पादक,समग्र एश्वर्यो के दाता स्वामी परमात्मा
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प्रचोदयात् = सन्मार्ग की ओर प्रेरणा करें .
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वरेण्यं=अपनाने योग्य तेज को
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भर्गो =सब क्लेशों के भस्म करने हारा ईश्वर
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देवस्य=कामना करने योग्य
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प्रश्न-3 गायत्री मन्त्र की महिमा लिखिए ?
उत्तर-3 ओ३म् - भूर्भुवः स्वः | तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |
धियो यो न: प्रचोदयात् || वेद भगवान् ||
इस गायत्री मन्त्र को सावित्री मन्त्र, गुरूमन्त्र वेदमाता मन्त्र ,महा मन्त्र आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है | गायत्री मन्त्र की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि- “ समस्त दु:खों के अपार सागर से पार लगानें वाली गायत्री है “| इसीलिए इसे पाप निवारनी दु:ख हारिणी और त्रिलोक तारिणी आदि भी कहते है |
प्रश्न-4 सविता शक्ति द्वारा मानवीय पुरूषार्थ के विषय में लिखें ?
उत्तर-4 जिस प्रकार परमात्मा अपनी सविता शक्ति द्वारा सुप्त प्रकृति को रच देता है ठीक इसी प्रकार परमात्मा को सविता नाम से पुकारने वाले साधक का भी कर्तव्य हो जाता है कि-वह भी अपने आप को अज्ञान की निंद्रा से दूर करे और सब मनुष्यों को ईश्वर भक्त ,वेद भक्त तथा जनता जनार्दन बनाने का यत्न करे | ( pg.17 पर 2 nd last para full )
प्रश्न-5 गायत्री मन्त्र के जप की विधि,समय एवं जाप के स्थान के बारे में लिखें ? उत्तर-5
गायत्री जाप की विधि
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गायत्री जाप का समय
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गायत्री जाप का स्थान
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प्रातः एवं सायं शुद्ध पवित्र होकर सु:खासन या अन्य किसी आसन पर बैठकर प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए |
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गायत्री मन्त्र का जाप प्रातःकाल एवं सायंकाल करना चाहिए
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गायत्री मन्त्र का जाप करने का स्थान साफ़,शुद्ध एवं पवित्र होना चाहिए |बाग़ बगीचा या नदी का किनारा आदि आदि |
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गायत्री का जप प्रातः एवं सायं काल करता है वह प्रभु का साक्षात्कार कर सकता है अतः हमें प्रभु की उपासना करनी चाहिए | प्रभु से विद्या,बुद्धि ,यश ,बल ,कीर्ति की याचना करनी चाहिए |
प्रश्न-6 महात्मा गांधी के गायत्री के विषय में विचार लिखिए ?
उत्तर-6 महात्मा गांधी जी ने एक लेख में लिखा है कि-“ गायत्री मन्त्र का स्थिरचित्त एवं शांत हृदय से किया गया जाप आपातकाल के संकटों से दूर रखनें का सामर्थ्य रखता है और आत्मोन्नति के लिए उपयोगी है |” अतः हम सबको भी गायत्री जाप करना चाहिए |
प्रश्न-7 स्वामी विरजा नन्द और महात्मा आनंद स्वामी को प्राप्त हुए गायत्री
जाप के फल का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर-7 महर्षि दयानन्द के गुरु स्वामी विरजानन्द जी को गायत्री के जाप से सिद्धि प्राप्त हुई थी और इतना ही नहीं गायत्री जाप से ही मनुष्य ब्रह्म तक का साक्षात्कार भी कर सकता है अतः हमें गायत्री की उपासना करनी चाहिए | +
महात्मा आनंद स्वामी ने ---------आगे ही बढ़ते गये | +
अतः श्रध्दा और विश्वासपूर्वक ,एकाग्र मन से अर्थ चिंतन सहित गायत्री मन्त्र का जाप किया करें | ( pg.17 पर last para 3rd line)
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